10 तरह की स्वादिष्ट चाय कैसे बनायें

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�ाय �ा �तिहास

चाय पीने से तन-मन को जितना आनंद और सुकून मिलता है उसी चाय का इतिहास भ­à¥€ उतना ही रोचक है। कहा जाता है कि पहली बार चाय की खोज चीन में 2737 BC में हुई थी जब वहां का एक राजा शेन नग बगीचे में बैठा हुआ था और उसके सेवक पास ही उसके लिए पानी गर्म कर रहे थे। तभ­à¥€ पास ही की झाडी में से कुछ पत्ते उस उबलते हुए पानी में आ गिरे। जब वह पानी उस राजा जो कि जड़ी-बूटियों का ज्ञाता भ­à¥€ था ने पीया तो उसकी महक ने उसे दीवाना बना दिया।

बाद में उसने उस पौधे के बारे में और जानकारी जुटाई, वह पौधा Camellia sinensis था। आगे चल कर इस पौधे की पत्तियों को उबाल कर बनाया जाने वाला पेय ही चाय कहलाया।

चाय की शुरुआत की इस कहानी में कितनी सच्चाई है यह कहना तो मुश्किल है लेकिन इस बात के सबूत मौजूद हैं कि चीन में चाय की शुरुआत यूरोप से काफी सदियों पहले ही हो चुकी थी।

भ­à¤¾à¤°à¤¤ में चाय का इतिहास

भ­à¤¾à¤°à¤¤ में चाय का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। कहा जाता है की 1662 में चाय का उपयोग एक दवा के रूप शुरू हो चुका था। 1689 में ओविंग्टन ने पाया कि सूरत में कुछ लोग चीन से लायी गयी कुछ पत्तियों का काढ़ा बना कर सरदर्द से छुटकारा पाने के लिए करते थे, वह पत्तियां चाय की ही थी।

हमारे देश में ब्रिटिश राज के विशेष मणि राम दीवान ने ब्रिटिश शासकों को सूचित किया था की आसाम में सिंघपो लोगों द्वारा चाय की खेती की जाती है। मणि राम भ­à¤¾à¤°à¤¤ में चाय की खेती करने की शुरुआत करने वालों में से एक थे।

अंग्रेजों ने भ­à¤¾à¤°à¤¤ में अपने शासन के दौरान चाय को लोकप्रिय बनाने के कई प्रयास किये। इस दौरान असम में चाय की खेती में अच्छी सफलता मिली। 1820 ईस्वी की शुरुआत में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भ­à¤¾à¤°à¤¤ में असम में चाय का वृहद उत्पादन शुरू कर दिया था। 1840 तक व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया था।

शुरुआत से ही भ­à¤¾à¤°à¤¤ में वाली चाय इसकी तेज महक और अच्छी गुणवत्ता के कारण अंग्रेजों द्वारा में बहुत ज्यादा पसंद की जाने लगी थी। चाय उच्च वर्ग का पसंदीदा पेय बन गया था। लेकिन जैसे जैसे इसका उत्पादन बढ़ा और कीमतें गिरने लगी तो यह धीरे धीरे आम लोगों में भ­à¥€ इसकी पहुँच बढ़ती गयी। 1970 तक इंस्टेंट कॉफ़ी के प्रचलन में आने से पहले चाय ही एकमात्र पसंदीदा गर्म पेय था।

चाय



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